Diploma in Yoga — Detailed Syllabus (2 Years)
1st Year (Year-I)
2nd Year (Year-II)
📘 1st Year — Theory & Practical (विवरण)
Theory Papers
Paper 1 – Foundation & Philosophy of Yogic Science and Patanjali Yoga Sutras
योग का इतिहास, विकास और विभिन्न परम्पराएँ (हठयोग, राजयोग, ज्ञानयोग, भक्ति योग, आदि)।
पतंजलि योगसूत्र: अष्टांग योग — यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान, समाधि का विवेचन।
योग के दार्शनिक सिद्धांत, योग का उद्देश्य और आधुनिक जीवन में योग का महत्व।
योग और आध्यात्मिक अभ्यास — नैतिक मूल्य, आत्म-नियंत्रण और जीवनशैली।
Paper 2 – Anatomy of Human Body
मानव शरीर का समग्र परिचय: कोशिका से अंग प्रणाली तक (skeletal, muscular systems)।
नर्वस सिस्टम: केंद्रीय व परिधिक तंत्रिका तंत्र — योग अभ्यास पर प्रभाव।
श्वसन तंत्र: श्वास-प्रश्वास क्रियाएँ और प्राणायाम का वैज्ञानिक आधार।
रक्त परिसंचरण, पाचन व उत्सर्जन प्रणाली — योगाभ्यास से होने वाले लाभ।
असाधारण स्थिति/चोटें — सुरक्षा और रोकथाम।
Paper 3 – Teaching Methods for Yogic Practices
शिक्षण के सिद्धांत: सीखने के स्तर, अवधारणा एवं शिक्षण लक्ष्य निर्धारित करना।
पाठ-योजना (lesson planning) बनाना, क्लास मैनेजमेंट और टाइम टेबल।
शिक्षण की विधियाँ: demonstration, guided practice, peer teaching, remedial teaching।
सुरक्षा निर्देश, contraindications और वैयक्तिक अनुकूलन (modifications)।
असाइनमेंट, एसेसमेंट और फीडबैक तकनीकें।
Paper 4 – Foundation of Naturopathy
नैचरोपैथी का परिचय, सिद्धान्त और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि।
पाँच तत्व सिद्धांत, प्राकृतिक उपचार के रूप — जल, सूर्य, मिट्टी, वायु, आहार।
उपवास, जल चिकित्सा, स्नान और मिट्टी चिकित्सा की विधियाँ।
जीवनशैली उपचार, आहार और पोषण से जुड़े सुझाव।
Paper 5 – Yoga & Cultural Synthesis & Value Education
योग और भारतीय संस्कृति का सामंजस्य — तात्विक व सांस्कृतिक दृष्टि।
मूल्य शिक्षा: नैतिकता, अनुशासन, करुणा, सामाजिक जिम्मेदारी।
योग के माध्यम से सामाजिक समरसता और यूनिवर्सल ब्रदरहुड का संवर्धन।
आधुनिक समाज में योग का सामाजिक एवं शैक्षिक योगदान।
Practical Paper
Paper 6 – Practical Training
मूलभूत आसन (Basic Asanas): ताड़ासन, व्रजासन, भुजंगासन, पिछड़े-पद, तितली, त्रिकोणासन आदि — विधि, लाभ, सावधानियाँ।
प्राणायाम (Pranayama): अनुलोम-विलोम, भ्रामरी, कपालभाति, शीतली — प्रक्रिया और सावधानियाँ।
ध्यान और relaxation: ध्यान की विधियाँ, योग निद्रा, मानसिक संतुलन।
शुद्धि क्रियाएँ (Shuddhikriya / Kriyas): जाल neti, kapalabhati (शुद्धि के संदर्भ में), सुरक्षित अभ्यास।
कक्षा संचालन: सुरक्षित warm-up, sequencing, cool-down, teaching practice और प्रदर्शन।
📗 2nd Year — Advanced Practical & Viva (विवरण)
Practical Papers (Advanced)
Paper 1 – Kundalini, Chakra & Mudras (Practical)
कुण्डलिनी सिद्धांत: ऊर्जा केंद्रों (chakras) का परिचय और कार्य।
सात प्रमुख चक्रों का अध्ययन: मूलाधार से सहस्रार तक — लक्षण, संबंध और स्वरूप।
मुद्राएँ (Mudras) और बन्ध (Bandhas) — प्राण ऊर्जा का अनुशासन और आध्यात्मिक अभ्यास।
कुण्डलिनी जागरण के सुरक्षित अभ्यास और मार्गदर्शक सावधानियाँ।
Paper 2 – Practical II: Kriyas & Advanced Asanas
शुद्धि क्रियाएँ (Kriyas): Neti (jala/neti), Dhauti, Nauli, Basti (सुरक्षित तरीके से परिचय)।
Advanced Asanas: शीर्षासन, सर्वांगासन, हलासन, धनुरासन, अधिकतम संतुलन-आसन — विधि, contraindications और modifications।
गहन प्राणायाम अभ्यास: अनुकूलन, धैर्य और मापदण्ड।
आराम तकनीक: Yoga Nidra और relaxation protocols।
Paper 3 – Practical Training (Advanced Teaching & Community)
समूह-आधारित योग सत्र का संचालन: community camps, health camps और mass yoga events का आयोजन।
इंडिविजुअल एसेसमेंट: विद्यार्थियों के लिए personalized practice plans।
शैक्षिक परियोजनाएँ (Project Work): case studies, community outreach और छोटे शोध-आधारित प्रोजेक्ट।
micro-teaching, peer feedback और performance evaluation।
Paper 4 – Viva (Oral Examination)
थ्योरी और प्रैक्टिकल दोनों पर मौखिक परीक्षा: योग दर्शन, आसन-प्राणायाम तकनीक।
प्रतीकात्मक प्रोजेक्ट और केस-डिस्कशन (student's project defence)।
शिक्षण कौशल पर प्रश्न: lesson plans, safety measures, class management।
स्टूडेंट की व्यक्तिगत प्रैक्टिस और दृष्टिकोण का आकलन।
सारांश:
1st Year में योग का सैद्धान्तिक आधार, मानव शरीर का विज्ञान, शिक्षण पद्धतियाँ और प्राकृतिक चिकित्सा की नींव पर ध्यान है।
2nd Year में यह जोर Advanced practicals, कुंडलिनी/चक्र/मुद्राओं, शुद्धि-क्रियाओं और सामुदायिक शिक्षण व परियोजना कार्य पर होता है।